About Holi in Hindi
दुनिया भर में भारत ही एक ऐसा देश है जहां कई प्रकार की रिती रिवाज वह अलग अलग संस्कृति एक साथ मिलकर रहती है। कई परंपरा आप का मन मोह लेंगी वहीं कई परंपरा कुछ मन में शंकाएं खड़ी कर देंगे। मगर भारत में मनाए जाने वाले कई त्योहारों में से एक त्यौहार या परंपरा आप का मन मोह लेंगी। इस परंपरा का नाम होली है। वसंत ऋतु में मनाए जाने वाले इस त्यौहार को भाईचारे और एकता का प्रतीक माना जाता है। होली त्यौहार के पीछे काफी प्राचीन कहानियां भी जुड़ी हुई है। आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार मार्च में मनाया जाता है जब लोग होली की शुभकामनाएं संदेश के साथ-साथ काफी और चीजों का आनंद लेते हैं।
दुनियाभर में होली को काफी महत्व दिया जा रहा है
होली के त्यौहार में विभिन्न सामाजिक तत्वों के लोग एक साथ मिलजुल कर इस त्यौहार को खास मनाते हैं। इसमें बच्चे बुजुर्ग सभी उम्र के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। होली के त्यौहार में संगीत और नृत्य का रिवाज होता है, संगीत और नृत्य के साथ लोग एक दूसरे के साथ रंगों से खेलते हैं। यह रीति रिवाज जो एक भाईचारे का प्रतीक है इसने दुनिया भर से कई लोगों को आकर्षित किया है। इसका असर यह हुआ है कि सारी दुनिया में अलग-अलग धर्म के लोग भी इसे मनाने लगे हैं।
आपने कई विज्ञापन वह संगीत वीडियो देखे होंगे जिसमें होली का जिक्र किया गया है। वह इसलिए होता है क्योंकि हंसते खेलते चेहरे को देखना सभी लोग पसंद करते हैं और होली वह हंसता खेलता चेहरा लाने में मदद करता है।
होली त्यौहार की शुरुआत कैसे हुई?
होली के पीछे काफी प्राचीन और दिलचस्प कहानियां जुड़ी हुई है। उनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी यह है कि एक राजा हुआ करता था वह काफी दुष्ट था उसका नाम हिरण्यकश्यप था। जो भगवान श्री कृष्ण ने निर्णय कश्यप के भाई का वध कर दिया था तब हिरण्यकश्यप ने श्री कृष्ण से बदला लेने की ठान ली।
वह प्रार्थना करने लगा कर उसे किसी किस्म का वरदान मिले जिससे वह श्रीकृष्ण को हरा सकता था। प्रार्थना करने के बाद उसे कुछ शक्तियां दी गई मगर उसने उस शक्तियों का गलत इस्तेमाल करते हुए अपनी प्रजा को उसकी पूजा करने की मांग की। जो लोग उनकी बात ना मानते वह उन्हें मौत के घाट उतार देता था।
इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था। वह अपने पिताजी की मार्गदर्शन पर चलने से इनकार करता था और अपने पिताजी को भगवान मानने से इनकार करता था। प्रहलाद भगवान विष्णु का एक सच्चा भक्त था और यह बात उसके पिताजी को पसंद ना आए और उसने अपने ही बेटे को मार देने का षड्यंत्र रचा।
इस दुष्ट राजा की एक बहन भी थी जिसका नाम होलिका था। होलिका के पास भी एक वरदान था कि वह आग में जल नहीं सकती थी। इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रहलाद को मार देने की साजिश रची।
षड्यंत्र यह था कि उस बच्चे को लेकर होली का आग में कूद जाएगी और प्रहलाद की मृत्यु हो जाएगी। भगवान विष्णु का भक्त होने के कारण प्रहलाद शिव भगवान विष्णु का जाप करता रहा और उसने धैर्य रखी।
होली का जब आग में कूद पड़ी प्रहलाद को लेकर तो प्रह्लाद को आग ने कुछ नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि होलिका को वरदान होने के बावजूद वह आग में जलकर राख हो गई। जिसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया और तब से यह होली का त्यौहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है।
